गुनगुनाना उनका
दरवाज़े, खिड़कियों से
आँगन से पूछना
गुनगुनाना उनका क्यों बंद है?
सूनी-सूनी गलियाँ हैं
हतप्रभ दीवारें
मरे हुए लंबे से दिन
कटे हुए खेतों की
काट रही चुप्पी
कोई चुभो गया पिन
हँसिया से, गोरी से,
कंगन से पूछना
खनखनाना उनका क्यों बंद है?
हर घर का आँगन
परदेस हो गया
परदेसी हो गया साजन
दिन औ' महीने तो
देखते निकल गए
चुती ही रह गई छाजन
साजन से, छाजन से,
आँगन से पूछना
खिलखिलाना उनका क्यों बंद है?
1 दिसंबर 2006