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अनुभूति में कन्हैयालाल बाजपेयी की
रचनाएँ-

गीतों में-
अग्नि परीक्षा से
इतना कोई सगा नहीं है
गुलमोहर की छाँव में
बाँधो न हमें
हम नन्हीं सी झील

 

हम नन्हीं सी झील

हम नन्हीं सी झील और तुम
गंगा की जलधार
हमारा मिलना क्या

बूँद बूँद जल खोएँगे हम
मौसम मौसम रोयेंगे हम
और कभी हँस भी लेंगे
पाकर हलकी बौछार
हमारा मिलना क्या

हमको सदा यहीं घुटना है
सजना है फिर फिर लुटना है
और तुम्हारा यश जाना है
सात समंदर पार
हमारा मिलना क्या

हमसे घृणा करे हर गागर
बाँह तुम्हारी थामे सागर
अलग अलग हैं भाग्य हमारे
अलग अलग अधिकार
हमारा मिलना क्या

१ अप्रैल २०१६

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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