अनुभूति में
डॉ. कैलाश निगम की
रचनाएँ-
गीतों में-
आओ प्यार करें
इस कोने से उस कोने तक
कब तक और सहें
मीठे ज्वालामुखी
मेरे देश अब तो जाग
समय सत्ता |
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आओ प्यार करें
जीवन की शह या मातों में
भरमाते रिश्ते-नातों में
खो जाये न कहीं अपनापन, आओ प्यार करें।
निर्जल नदी सरीखा जीवन जिसमें प्यार नहीं
हो निर्गन्ध, फूल सा जीवन भी स्वीकार नहीं
ऊँचे-बोझिल आदर्शों में
गहरे-पैने संघर्षों में
टूटे नहीं नेह का बन्धन, आओ प्यार करें।
सूरज धोये गात चाँदनी लेप लगाती है
मुग्ध कोकिला प्रतिपल राग वसंती गाती है
यही प्यार का जादू-टोना
छू लोहा कर देता सोना
भरा-भरा लगता अन्तर्मन, आओ प्यार करें।
साँसों में कस्तूरी महके, कुंकुम मेघ झरे
एक अकथ आनन्द कहाँ भाषा जो व्यक्त करें
शब्दहीन संवाद गढ़े मन
गुप-चुन गीत-गोविन्द पढ़े मन
सारा भुवन लगे वृन्दावन, आओ प्यार करें।
टकराया फरहाद प्यार के हित चट्टानों से
हारा नहीं सलीम शहन्शाही फरमानों से
सुख-वैभव से भरा भवन हो
किन्तु प्यार से मन निर्धन हो
ऐसा जीवन भी क्या जीवन, आओ प्यार करें।
७ जनवरी २०१३
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