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अनुभूति में जयकृष्ण राय तुषार की रचनाएँ-

गीतों में-
चेहरा तुम्हारा
पिता
धूप खिलेगी
फोन पर बातें न करना
बादलों के बीच में रस्ते
लोग हुए वेताल से

 

लोग हुए वेताल से

इस मौसम की
बात न पूछो
लोग हुए बेताल से।
भोर नहाई
हवा लौटती पुरइन ओढ़े
ताल से।

चप्पा-चप्पा
सजा-धजा है
सँवरा निखरा है
जाफ़रान की
ख़ुशबू वाला
जूड़ा बिखरा है

एक फूल
छू गया अचानक
आज गुलाबी गाल से

आँखें दौड
रही रेती में
पागल हिरनी-सी,
मुस्कानों की
बात न पूछो
जादूगरनी-सी,

मन का योगी
भटक गया है
फिर पूजा की थाल से

सबकी अपनी
अपनी ज़िद है
शर्तें हैं अपनी,
जितना पास
नदी के आए
प्यास बढ़ी उतनी,

एक-एक मछली
टकराती जाने
कितने जाल से 

६ दिसंबर २०१०

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