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अनुभूति में जयकृष्ण राय तुषार की रचनाएँ-

गीतों में-
चेहरा तुम्हारा
पिता
धूप खिलेगी
फोन पर बातें न करना
बादलों के बीच में रस्ते
लोग हुए वेताल से

 

चेहरा तुम्हारा

साँझ चूल्हे के धुएँ में
लग रहा चेहरा तुम्हारा
ज्यों घिरा
हो बादलों में
एक टुकड़ा चाँद प्यारा!

रोटियों के
शिल्प में है हीर-राँझा की कहानी
शाम हो या दोपहर हो
हँसी, पीढा
और पानी

याद रहता है तुम्हें सब
कब कहाँ, किसने पुकारा!

एक भौंरा
फूल पर बैठा हुआ तुमको निहारे
और नन्हा दुधमुँहा
उलझी तुम्हारी
लट सँवारे

दिन गुलाबी
और रंगोली
बनाने का इशारा!

मस्जिदों में
हो अजानें, मंदिरों में आरती हो
एक घी का दिया चौरे पर
तुम्हीं तो
बारती हो

जाग उठता
देख तुमको
झील का सोया किनारा!

६ दिसंबर २०१०

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