विकलांग
प्रश्न
बढ़ रही तम की
धुएँ से मित्रता
सूर्य का रथ इस दिशा में
लाइये
कीचकों के हाथ
लंबे हो गए
खेत में कंकाल
फिर वे बो गए
फँस गए है कृष्ण
किस जंजाल में
अब सुदर्शन चक्र ही
चलवाइये
प्रश्न फिर विकलांग
होते जा रहे
उत्तरों जुल्म
उन पर ढा रहे
इस कदर लाचार
तेवर देखकर
सव्यसाँची की कथा
दोहराइये
टूटते संदर्भ
जलते उम्र भर
मौन संबोधन
लहू से तर बतर
पीठ पर आघात की
पीड़ा असह्य
आप कुछ तो आकलन
करवाइये
२७ दिसंबर २०१०