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अनुभूति में हरिशंकर सक्सेना की रचनाएँ—

गीतों में-
अग्निगर्भा
अब तो जागिये
तीखी हवाएँ आ गईं
विकलांग प्रश्न
सदी की भूल
 

 

सदी की भूल

हो गया अभिशप्त फिर
तालाब का पानी
मछलियों को सूर्य का
आतंक डसता है

रोज जख्मी हो रहे हैं
अब कमल के फूल
पीढ़ियाँ ढोती रहेंगी
हर सदी की भूल
हादसा ही
दर्द का इतिहास लिखता है

नागफनियाँ पंखुरी पर
लिख रही कानून
इस व्यवस्था ने पिया है
आदमी का खून
सभ्यता का
शर्म से सिर आज झुकता है

२७ दिसंबर २०१०

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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