अनुभूति में
देवेन्द्र सफल की रचनाएँ
गीतों में-
गिलहरी
धूप ने पहने
कपड़े कुहरीले
महल पर बादल
बरसे हैं
मैं हूँ मौन
मौसम-मौसम
में जहर
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मैं हूँ मौन
मैं हूँ मौन समय का फेरा
बोल रही मेरी परछाई
अब बदलाव साफ दिखता है
परिवर्तन की ऋतु है आई
वाणी से आक्रोश झलकता
आँखें ठहरी हुई कहीं हैं
सिमटी हुई भुजाएँ खुलकर
कंधे को थपथपा रहीं हैं
पाट रही अंधे कूपों को
लाँघ रही है गहरी खाई
नई रोशनी, बढ़े हौसले
ने दे दी हैं मुक्त उड़ानें
आखेटक अब घबराये हैं
डर से उनकी झुकी कमानें
कल तक जो उजड़ी-उजड़ी थी
आज उसे हासिल अँगनाई
अंधकार को दूर भगाने
खातिर एक मशाल जली है
तेवर नहीं बगावत के, अब
समरसता की बात चली है
चल न सकेगा गोरखधंधा
मुट्ठी में है खरी कमाई
१८ नवंबर २०१३
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