अनुभूति में
देवेन्द्र सफल की रचनाएँ
गीतों में-
गिलहरी
धूप ने पहने
कपड़े कुहरीले
महल पर बादल
बरसे हैं
मैं हूँ मौन
मौसम-मौसम
में जहर
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महल पर बादल बरसे हैं
आँखें भीगीं, होंठ आचमन
तक को तरसे हैं
प्यासों का घर छोड़ महल पर
बादल बरसे हैं
उमड़-घुमड़, झूमें, गरजे घन
तपिश बढ़ा जायें
जैसे जल बिन मछली तड़पे
वैसे तड़पाये
हम इनसे अनुनय कर हारे
ढीठ, निडर से हैं
हवन-यज्ञ सब निष्फल कैसे
नई फसल बोयें
हल जोता अम्मा-चाची ने
इन्दर खुश होयें
हरियाली गुम हुई खेत
ऊसर बंजर से हैं
पोखर, ताल-कुँआ बेबस हैं
सूखी नहर-नदी
सागर अट्ठारह करता
मुटठी में नई सदी
भूखे लोग देव को अपनी
थाली परसे हैं
१८ नवंबर २०१३
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