अनुभूति में
देवेन्द्र सफल की रचनाएँ
गीतों में-
गिलहरी
धूप ने पहने
कपड़े कुहरीले
महल पर बादल
बरसे हैं
मैं हूँ मौन
मौसम-मौसम
में जहर
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गिलहरी
डाल-डाल पर दौड़ रही
खुश बहुत गिलहरी है
चादर कुहरे की सिमटी
दिन गये रजाई के
गदराये हैं खेत खुशी में
गेहूँ-राई के
सुबह-शाम ठण्डक, फिर भी
गुनगुनी दुपहरी है
कुठल खाली हुआ, भुसौरे
एक नहीं तिनका
घर अनाज आये तो कुछ
ऋण चुके महाजन का
सरसों, चना मटर पियराये
हरी अरहरी है
खुशियों ने फिर दस्तक दी
घर में पाहुन आये
होली की मस्ती में तन-मन
झूम-झूम जाये
पकी-पकी फसलों की रंगत
हुई सुनहरी है
पिछले साल पड़ा सूखा
मर गई भैंस-गैया
पूरी हो इस साल साध
सुन ले देवी मैया
मुन्नी हुई सयानी, लेकिन
अभी छरहरी है
१८ नवंबर २०१३ |