बुद्धिनाथ मिश्र
जन्म-
1 मई 1949 को समस्तीपुर बिहार के देवधा गाँव में।
बुद्धिनाथ मिश्र आज के समय के ऐसे गीतकार हैं जिनमें जन-चेतना के
साथ गीतिकाव्य के सारे गुण मौजूद हैं। इनके गीतों में हमें युग
की धड़कन तथा साधारण जन की पीड़ा मिलती है। इनके गीतों में गेयता
है। कोमल भाव हैं तथा जन-विरोधी व्यवस्था के प्रति मुखर स्वर भी
हैं। उनकी कविता में विषय की नवीनता तथा शिल्प में निरंतर बदलाव
देखने को मिलता है। डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र के गीतों में व्यंग्य का
धारदार प्रयोग होता है।
तीन
कविता संग्रह प्रकाशित-
जाल फेंक रे मछेरे 1982 में, जाड़े में पहाड़ 2001 में तथा
शिखरिणी 2004 में।
पुरस्कार सम्मान-
कविरत्न तथा दुष्यंत कुमार अलंकरण से सम्मानित।
संप्रति-
तेल-भवन देहरादून में मुख्य प्रबंधक (राजभाषा)
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अनुभूति में
डॉ.
बुद्धिनाथ मिश्र
की रचनाएँ-
नए गीतों में-
उत्तम पुरुष
पता नहीं
मैं समर्पित बीज सा
स्तब्ध हैं कोयल
गीतों में-
ऋतुराज इक पल का
केवल यहाँ सरकार है
गंगोजमन
ज़िन्दगी
देख गोबरधन
निकला कितना दूर
पीटर्सबर्ग में पतझर
राजा के पोखर में
संकलन में-
गाँव में अलाव-
जाड़े में पहाड़
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