अनुभूति में
बृजेश द्विवेदी अमन
की रचनाएँ-
गीतों में-
अंतहीन पथ पर
आदमी अब भीड़ में
बहती रही नदी
बूढ़ा बरगद
माँ
चाहे छंदों सा बंधन
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माँ चाहे छंदों सा बंधन
माँ चाहे छंदों
सा बंधन
पत्नी फिरती नव कविता सी।
दादी गाये भजन आरती
पोते गिटपिट अंग्रेजी
शुभम् स्वस्ति सब लुप्त हुए
नई पौध में हलो हाय जी
हवा चली है नये चलन की
जिसमें गंध नहीं ललिता सी
बच्चे भूले दूध बियारी
मैगी न्यूडल मैक्रोनी मे
बरगर घर-घर घूम रहा है
रसना चाट चटौनी में।
सासू रहती शांत झील सी
दुल्हन बाढ़ चढ़ी सरिता सी।
६ अक्तूबर २०१४
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