अनुभूति में
अविनाश ब्यौहार की
रचनाएँ- गीतों में-
कैसे भरूँ उड़ान
चुभती बूँदें
दूर खड़े
वर्षा गीत
सन्नाटों की झीलें
सौंधी-सौंधी गंध
हुआ तो क्या |
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कैसे
भरूँ उड़ान
.
पंख दिये हैं कुदरत ने पर
कैसे भरूँ उड़ान?
अब खतरे में परवाजें हैं
गूँगी-गूँगी आवाजें हैं
इतने पर भी आसमान
सोया है चादर तान
चुप्पी ढोते हुए ठहाके
खेत कर रहे बेबस फाँके
कष्टों का है खड़ा हिमालय
कण-कण में भगवान १
अक्तूबर २०१८ |