अनुभूति में
आशाराम त्रिपाठी की रचनाएँ—
गीतों में—
उजियारा कुछ मंद हो गया
ऐसा उपवन हो
कविता से
मुरझाई कली
हे बादल
अंजुमन में—
दरपन ने कई बार कहा है
सहसा चाँद उतर आता है
संकलन में—
लहर का कहर–
सुनामी लहरें
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दरपन ने कई बार कहा है
मन परिवर्तन भले न समझे पर तन ने कई बार कहा है
हर पल में चेहरा बदला है दरपन ने कई बार कहा है
उमर आखिरी दर पर डूबी मंसूबों के मेले में
साँसों का सैलाब बह गया चिंतन ने कई बार कहा है
पतझर से आहत चाहत की क्यारी राहत पाएगी
खुशियों की बहार आएगी उपवन ने कई बार कहा है
उम्रदराज नजर सूने में मनमानी कर लेती है
तंग सुराखों से मत झांको चिलमन ने कई बार कहा है
कई घरौंदे बना लिए क्यों अंदर की अंगनाई में
दिवारों से मुझे न बाँटो आँगन ने कई बार कहा है
१ जून २००६
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