अरुण तिवारी गोपाल
जन्म- २९ अगस्त १९७३ को ग्राम-
कुढ़ावल, पोस्ट देरापुर, जिला- कानपुर देहात
शिक्षा- एम एस सी (भौतिकी), एम ए (हिन्दी, संस्कृत), पी एच डी,
नेट,
कार्यक्षेत्र-
अध्यापन के साथ साथ स्वतंत्र लेखन। गीत, गजल, लेख, समीक्षा और
समालोचना के क्षेत्र में सक्रिय।
प्रकाशित कृतियाँ-
गीत संग्रह- पसीजे तुम नहीं क्यों
शोध एवं समीक्षा- उत्तरछायावादी काव्य धारा, ,तुलसीदास के
निराला और मानसमेरु के मंजुल।
निबंध संग्रह- साहित्य की असाहित्यिक गतिविधियाँ। इसके
अतिरिक्त लगभग सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित,
सम्मान व पुरस्कार-
पद्मेश प्राच्य विद्यापीठ, कानपुर द्वारा, १९९४, 'दुर्गा
प्रसाद दुबे' पुरस्कार महामहिम राज्यपाल श्री मोतीलाल वोहरा जी
के कर कमलों से। इसके साथ ही अनेक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक
संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित।
ईमेल-
aruntiwarigopal@gmail.com
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अनुभूति में डॉ.
अरुण
तिवारी गोपाल की
रचनाएँ- गीतों में-
गाँव की अब लड़कियाँ
फिर अजुध्या खिलखिलाई
भरगड्डा की मोड़ी
रतीराम की दुल्हन
लाख बनवा लो किला |