अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अमरनाथ श्रीवास्तव

(२१ जून १९३७ - १५ नवंबर २००९)

जन्म- २१ जून १९३७ को ग्राम बौरवा, जिला गाजीपुर में।

कर्मक्षेत्र- इलाहाबाद जहाँ वे जनरल इलेक्ट्रिक कार्पोरेशन के साथ काम करते रहे और बाद में स्वैक्षिक सेवानिवृत्ति लेकर कुछ दिनों तक माया प्रेस से जुड़े रहे। उनका रचनाकाल लगभग चार दशकों का है। 

पुरस्कार सम्मान-
उत्तर-प्रदेश के प्रतिष्ठित निराला सम्मान से दो बार और साहित्य भूषण से एक बार। आपके गीत भारत की लगभग सभी साहित्यिक पत्रिकाओं तथा आकाशवाणी व दूरदर्शन के कार्यक्रमों में भी शामिल हुए हैं।

प्रकाशित कृतियाँ-
नवगीत संग्रह- गेरू की लिपियाँ [१९९०], दोपहर में गुलमोहर [१९९५ ]
गजल संग्रह- आदमी को देखकर [गज़ल संग्रह -२००२]
मैं न कहूँ तो आदि।

  अनुभूति में अमरनाथ श्रीवास्तव की रचनाएँ-

नए गीत
अनुपस्थिति मेरी

जहाँ आँखों में रहा
प्यादे से वज़ीर
फाँस जो छूती रगों को
मैं बहुत खुश हूँ

गीतों में-
पुण्य फलीभूत हुआ
लोग खड़े हैं इंतज़ार में
सारी रैन जागते बीती
 

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter