अनुभूति में आचार्य
सारथी
की रचनाएँ—
गीतों में—
एक टूटा स्वप्न
ज्योतिधन्वा गंध
गूँगी हलचल
दुख की कपास
धूप
ध्वजारोहण
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दुख की कपास
काँटों की छाया में
वहम लिए खुशबू का
हिंसक मुस्कानों को
झेले रहे हम!
फूलों की बस्ती में
जीने की आस
बरसों से कात रही
दुख की कपास
जीवन के मोड़ों पर
भूख, प्यास, आँसू का
अलसाया, अनचाहा
मेल रहे हम!
तितली-सा
रंगीन सपना था जो
जलती हवाओं की
भेंट चढ़ा वो
हिरनी के शावक की
मुद्रा में आज
तेजाबी झरनों से
खेल रहे हम!
२४ फरवरी २००६
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