अनुभूति में
सुभद्रा कुमारी चौहान
की रचनाएँ-
कविताओं में--
उल्लास
झिलमिल तारे
बचपन
मधुमय प्याली
मेरा जीवन
गौरव ग्रंथ में--
झाँसी की रानी
संकलन में--
वसंती हवा -
वीरों का कैसा हो वसंत
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उल्लास
शैशव के सुन्दर प्रभात का
मैंने नव विकास देखा।
यौवन की मादक लाली में
जीवन का हुलास देखा।
जग-झंझा-झकोर में
आशा-लतिका का विलास देखा।
आकांक्षा, उत्साह, प्रेम का
क्रम-क्रम से प्रकाश देखा
जीवन में न निराशा मुझको
कभी रुलाने को आई।
जग झूठा है यह विरक्ति भी
नहीं सिखाने को आई।
अरिदल की पहिचान कराने
नहीं घृणा आने पाई।
नहीं अशान्ति हृदय तक अपनी
भीषणता लाने पाई। |