मेरा जीवन
मैंने हँसना सीखा है
मैं नहीं जानती रोना;
बरसा करता पल-पल पर
मेरे जीवन में सोना।
मैं अब तक जान न पाई
कैसी होती है पीड़ा;
हँस-हँस जीवन में कैसे
करती है चिन्ता क्रीड़ा।
जग है असार सुनती हूँ
मुझको सुख-सार दिखाता
मेरी आँखों के आगे
सुख का सागर लहराता।
कहते है होती जाती
खाली जीवन की प्याली
पर मैं उसमें पाती हूँ
प्रतिपल मदिरा मतवाली।
उत्साह, उमंग निरन्तर
रहते मेरे जीवन में
उल्लास विजय का हँसता
मेरे मतवाले मन में।
आशा आलोकित करती
मेरे जीवन को प्रतिक्षण
है स्वर्णसूत्र से वलयित
मेरी असफलता के धन
सुख-भरे सुनहले बादल
रहते हैं मुझको घेरे,
विश्वास, प्रेम, साहस हैं
जीवन के साथी मेरे। |