अनुभूति में
रघुवीर सहाय की रचनाएँ-
कविताओं में-
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बसंत
बसंत आया
भला
लघु रचनाओं में
अगर कहीं मैं तोता होता
चांद की आदतें
बौर
पानी के संस्मरण
प्रतीक्षा
क्षणिकाओं में
वसंत
चढ़ती स्त्री
अँग्रेज़ी
दृश्य(१)
दृश्य(२)
संकलन में
धूप के पाँव-
धूप
वर्षा मंगल -
पहला पानी
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पाँच लघु रचनाएँ
१
चाँद की आदतें
चाँद की कुछ आदतें हैं।
एक तो वह पूर्णिमा के दिन बड़ा-सा निकल आता है
बड़ा नकली (असल शायद वही हो)।
दूसरी यह, नीम की सूखी टहनियों से लटककर।
टँगा रहता है (अजब चिमगादड़ी आदत!)
तथा यह तीसरी भी बहुत उम्दा है
कि मस्जिद की मीनारों और गुंबद की पिछाड़ी से
ज़रा मुड़िया उठाकर मुँह बिराता है हमें!
यह चाँद! इसकी आदतें कब ठीक होंगी?
२
अगर कहीं
मैं तोता होता
अगर कहीं मैं तोता होता
तोता होता तो क्या होता?
तोता होता।
होता तो फिर?
होता, 'फिर' क्या?
होता क्या? मैं तोता होता।
तोता तोता तोता तोता
तो तो तो तो ता ता ता ता
बोल पट्ठे सीता राम
३
बौर
नीम में बौर आया
इसकी एक सहज गंध होती हैं
मन को खोल देती है गंध वह
जब मति मंद होती है
प्राणों ने एक और सुख का परिचय
पाया।
४
पानी के
संस्मरण
कौंध। दूर घोर वन में
मूसलाधार वृष्टि
दुपहर : घना ताल : ऊपर झुकी आम की डाल
बयार : खिड़की पर खड़े, आ गई फुहार
रात : उजली रेती के पार; सहसा दिखी
शान्त नदी गहरी
मन में पानी के अनेक संस्मरण
हैं।
५
प्रतीक्षा
दूसरे तीसरे जब इधर से निकलता
हूँ
देखता हूँ, अरे इस वर्ष गुलमोहर में अभी तक फूल नहीं आया
- इसी तरह आशा करते रहना कितना अच्छा है
विश्वास रहता है कि वह प्रज्वलित
मैं भूल नहीं आया। |