मेघ मल्हार
तान-तान के तड़-तड़ की
गावत मेघ मल्हार
छन-छन नाचें आँगन में
सावन की बौछार
हरियाली की हरी चुनरिया
धरती करे शृंगार
मस्त श्यामल आसमान का
उमड़त घुमड़त प्यार
तन में बिजली-सी दौड़ाती
ठंडी पुरवा ब्यार
वन-वन डोले मन का मयूरा
पिहु-पिहु करे पुकार
छके छकाए ताल तलैया
दादुर चढ़े खुमार
बाग बगीचे कोयल कूके
पपीहा बैठे डार
गाँव-गाँव बगिया-बगिया में
झूले अमुआ डार
सखा सखी झूले पर करते
हँसी ठिठोल अपार
रचा हथेली बैठ सहेली
पीहर में दिन चार
पनघट बगिया गैल अटरिया
बहती बतरस धार
-पुष्पेंद्र शरण पुष्प
24 अगस्त 2005
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