अनुभूति में
कन्हैयालाल नंदन
की रचनाएँ-
गीतों में-
अंग अंग चंदन वन
क्यों, आखिर क्यों?
जीवन-क्रमः तीन चित्र
तस्वीर और दर्पन
बोगनबेलिया
शापित कमलों का आत्म-मंथन
वर्जना का गीत
अंजुमन में-
अपनी महफ़िल
जो कुछ तेरे नाम
तेरी याद
हर सुबह
छंदमुक्त में-
ज़िन्दगी़ चार कविताएँ
संकलन में-
वसंती हवा-वसंत
घर आ गया
धूप के पाँव -
सूरज की पेशी
वर्षा मंगल -
बादल गीत |
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क्यों, आखिर
क्यों?
हो गई क्या हमसे
कोई भूल?
बहके-बहके लगने लगे फूल!
अपनी समझ में तो
कुछ नहीं किया,
अधरों पर उठ रही शिकायतें
सिया,
फूँक-फूँक कदम रखे,
चले साथ-साथ,
मगर
तन पर क्यों उग रहे बबूल?
नज़रों में पनप गई
शंका की बेल,
हाथों में
थमी कोई अजनबी नकेल!
आस्था का अटल सेतुबंध
लड़खड़ाता है
हिलती है एक-एक चूल!
रफू ग़लतफ़हमियाँ
जीते हैं दिन!
रातों को चूभते हैं
यादों के पिन
पतझर में भोर हुई
शाम हुई पतझर में
कब होगी मधुऋतु
अनुकूल
तन पर...
३१ अगस्त २००९ |