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अनुभूति में कन्हैयालाल नंदन
की रचनाएँ-

गीतों में-
अंग अंग चंदन वन
क्यों, आखिर क्यों?
जीवन-क्रमः तीन चित्र
तस्वीर और दर्पन
बोगनबेलिया
शापित कमलों का आत्म-मंथन
वर्जना का गीत

अंजुमन में-
अपनी महफ़िल
जो कुछ तेरे नाम
तेरी याद

हर सुबह

छंदमुक्त में-
ज़िन्दगी़ चार कविताएँ

संकलन में-
वसंती हवा-वसंत घर आ गया
धूप के पाँव - सूरज की पेशी
वर्षा मंगल - बादल गीत

  अंग-अंग चन्दन वन

एक नाम अधरों पर आया
अंग-अंग
चन्दन
वन हो गया।

बोल हैं कि वेद की ऋचाएँ?
साँसों में
सूरज उग आए
आँखों में
ऋतुपति के छन्द
तैरने लगे
मन
सारा
नील गगन हो गया।

गन्ध गुंथी बाहों का घेरा
जैसे
मधुमास का सवेरा
फूलों की भाषा में
देह बोलने लगी
पूजा का

एक जतन हो गया।


पानी पर खींचकर लकींरें
काट नहीं सकते
जंज़ीरें।
आसपास
अजनबी अंधेरों के डेरे हैं
अग्निबिन्दु

और सघन हो गया!
 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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