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अनुभूति में जानकीवल्लभ शास्त्री की रचनाएँ—

कहानी
कुपथ रथ दौड़ाता जो
ग़म न हो पास
बौराए बादल?

माझी उसको मझधार न कह
मौज
स्याह-सफ़ेद

 

स्याह सफ़ेद

स्याह-सफ़ेद डालकर साए
मेरा रंग पूछने आए !

मैं अपने में कोरा-सादा
मेरा कोई नहीं इरादा
ठोकर मर-मारकर तुमने
बंजर उर में शूल उगाए ।

स्याह-सफ़ेद डालकर साए
मेरा रंग पूछने आए !

मेरी निंदियारी आँखों का-
कोई स्वप्न नहीं; पाँखों का-
गहन गगन से रहा न नता,
क्यों तुमने तारे तुड़वाए ।

स्याह-सफ़ेद डालकर साए
मेरा रंग पूछने आए !

मेरी बर्फ़ीली आहों का
बुझी धुआँती-सी चाहों का-
क्या था? घर में आग लगाकर
तुमने बाहर दिए जलाए !

स्याह-सफ़ेद डालकर साए
मेरा रंग पूछने आए !

११ अप्रैल २०११

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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