अनुभूति में
डॉ. योगेन्द्रनाथ
शर्मा अरुण की रचनाएँ-
गीतों में-
चलो प्रीत के दीप जलाएँ
जीवन तो फूल सरीखा है
नाता ये कैसा है
मैं ऋणी हूँ प्रिय तुम्हारा
हर दिल में स्थान मिलेगा
दोहों में-
जीवन के अनुभव
संकलन में-
दीप धरो-
चलो प्रीत के दीप जलाएँ |
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नाता ये कैसा है?
कभी सोचता मीत हमारा, नाता ये कैसा है?
मन कहता है ये तो दिल की, धड़कन जैसा है
जन्मों का सम्बन्ध हमारा
पुष्प-गंध जैसा महका है
पाकर तुमको लगता जैसे
मन का पंछी चहका है
रजनी और चंदा के जैसा, नाता ये कैसा है?
मन कहता है ये तो दिल की, धड़कन जैसा है
चिड़ियों के संगीत सरीखा
नाता है प्रियतम अपना
हँसी तुम्हारी जो गुलाब सी
वही मेरे मन का सपना
गुलाब और मुस्कान के जैसा, नाता ये कैसा है?
मन कहता है ये तो दिल की, धड़कन जैसा है
अधरों की मुस्कान तुम्हारी
जीवन भर यह बनी रहे
प्रीत हमारी अमृत बन कर
गंगा-जल सी सदा बहे
पावन गंगा के जल जैसा, नाता ये कैसा है?
मन कहता है ये तो दिल की, धड़कन जैसा है
१३ जुलाई २०१५ |