अनुभूति में
पारुल तोमर
की रचनाएँ-
दोहों में-
गुलमोहर के फूल
चलती रही ठिठोलियाँ
पतंग की मनुहार
फुलझड़ियाँ चलती रहीं
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गुलमोहर के फूल
डाल डाल खिलता रहा महका सारा गाँव
गीत खुशी के गा रही गुलमोहर की छाँव
भरी दुपहरी में खिले गुलमोहर के फूल
मन से सारे धुल गये उदासियों के शूल
गुलमोहर के रंग से मन हो ज्यों कनवास
अन्तरतम भरने लगा मीठा सा अहसास
फूल - फूल करने लगा टहनी से संवाद
मन मयूर नर्तन करे दूर हुआ अवसाद
लाल फूल खिलते रहें मीत करे मनुहार
रहे महकती नव सुबह छाये हर्ष बहार
गुलमोहर पर छा गया लाल प्यार का रंग
यहाँ-वहाँ झूमे मगन गर्म हवा के संग
बैसाख जेठ की तपन जलते हैं दिन-रात
तन-मन शीतलता भरे गुलमोहर की बात
रेशम जैसे फूल ले खड़ा गुलमुहर द्वार
मन-गलियन में बज रहे मध्यम-मृदुल सितार
तितली सा उड़ता फिरे गुल पराग हर बाग
धरती से आकाश तक खिले राग-अनुराग
१ अप्रैल २०२३
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