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प्यार किया है
पूछो मत, क्यों प्यार किया है?
क्यों दिल को बेकार किया है?
अँगड़ाई आँखों मे भरकर
रातों- रातों तारे गिनकर
उनके दीदार की हसरत में
इस जीवन को दुश्वार किया है
ये जो पलभर की गरमी
उनसे छीनी है इस तन ने
उसकी आभा के दर्पण में
मैंने सोलह-सिंगार किया है
सोती रातों में जग-जगकर
पहलू में उनके सर रखकर
मदहोश थिरकते अधरों ने
बेचैनी का इजहार किया है
पूछो मत, क्यों प्यार किया है?
क्यों दिल को बेकार किया है?
१ जुलाई २०२२ |