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नई कहानी
एक सुबहा थी जो गुज़र गई
एक शाम नयी अब आनी है
इन पलकों के नीचे नीचे
पलती एक नयी कहानी है
है धरा नयी, आकाश नया
मानवता का अहसास नया
मैं ज़िन्दा हूँ, और जीवन को
जीने का है उल्लास नया
मेरे सपनों को जमीं नहीं
सूरज की चमक चुरानी है
बागों में नयी बहारें हैं
सावन की नयी फुहारें हैं
है दृष्टि नयी और सोच नयी
उम्मीद के बहते धारे हैं
इस मेल-मिलाप के दौर में
कोई रंक, न राजा-रानी है
इन पलकों के नीचे नीचे
पलती एक नयी कहानी है।
१ जुलाई २०२२ |