पर्ण पतझड़ पीत
पर्ण
पतझड़ पीत का सा
लय रहित किसी गीत का सा
बिलखती व्याकुल विरहणी केश बिखराए
भर सरोवर सदृश नयना नीर भर लाए
ललित
लोहित लालिमा में
नन्द निरुपम नीलिमा में
तरसता प्रिय के मिलन को कूह -कूह गाए
भर सरोवर सदृश नयना नीर भर लाए
घनक-
घनकत घन घनेरे
धमक-धमकत नाद नेड़े
यातनाएँ दे रहे स्वर मौन दहकाए
भर सरोवर सदृश नयना नीर भर लाए
धधक
धक धक धड़कता मन
फिर से लौटा दो वही क्षण
याचना करता क्यों प्रतिपल हाथ फैलाए
भर सरोवर सदृश नयना नीर भर लाए
७ मई २०१२ |