इतिहास पुराण
इतिहास पुराण के भीतर
छिपा है
पुराण इतिहास में।
पुराण वेदना का नामरूप
भीतर का संघर्ष-
जो कर्म नहीं हो पाए
उन पर टीका है¸
क्योंकि देवता आलसी हैं।
राक्षसों के पास
वासना है,
प्रेम नहीं
मित्रता नहीं
महत्वाकांक्षा है,
धार्मिक उन्माद है।
वह उपनिवेश
और साम्राज्य
माँगते हैं।
देवता श्रम नहीं करते,
संस्कृति का निर्माण नहीं करते।
अन्याय और अत्याचार
का झंझावात
चेतना को
झकझोरता है।
काली आँधियाँ चलती हैं।
संस्कृति उस को
बाँधने का जाल¸
नीलकंठ की तरह
विष पी लेने का
न्याय।
इतिहास को
पुराण के परिवेश में देखिए।
1 जुलाई 2005
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