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संकलन में—
वर्षा मंगल–डरा पक्षी

 

 

अश्वताल

चिदंबरम का तेज
गर्मी की भाप से
धुँधला गया है।

राख में लिपटे
चूल्हे के अंगारों में
बहुत कम जान है।

खिड़की के बाहर
नाले की पुलिया की
नींव टूटी लगती है।

और उसका मार्ग
किस ग्राम जाता है।
अब मुझे ज्ञात नहीं।

नहीं मुझे याद है
कैसे मैं आया
इस महालय में।

वेदना आशा देती है।  
संदेश है
आश्विनों के एक
्राचीन क्रम का।

अश्वताल में शरीर
भिषज को सौंपे
मैं दर्पण में ज्योति को
टिकटिका देख रहा हूँ।

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