अनुभूति में प्रेम माथुर
की रचनाएँ
कविताओं में-
2 अक्तूबर की याद में
खाली झोली
गुलमोहर
जड़ें
धूप खिली है
बापू की याद
क्षणिकाओं में-
आठ क्षणिकाएँ
संकलन में-
नया साल-
जश्न
नए साल का
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ख़ाली झोली
चला अकेला
डगर डगर
लेकर ख़ाली झोली
डगर डगर
भरता रहा
कुछ दुलार से
कुछ धन माल
कुछ प्यार से
कुछ दुत्कार से
फिर भी झोली
खाली की खाली
कितनी गहरी
गोते लगा
लगा पता
है खाली
क्यों खाली
फकीर की झोली
फटा चोला
गाता गुनगुनाता
आहिस्ता आहिस्ता
फकीर चला
यों हीं अकेला
रस्ता दर रस्ता
मंज़िल दर मंज़िल
पहुँचा कहाँ कहाँ
तलाश ही तलाश
फटा चोला
खाली झोली।
११ अगस्त २००८ |