अनुभूति में
प्रवीण अग्रवाल
की रचनाएँ
दोहों में-
पाँच दोहे
छंदमुक्त में-
बीता हुआ कल और आने वाला कल
मृत्यु के आगे
विदेश में भारतीय किराएदार |
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दोहे
मदिरा पीकर मति गई, पानी पी कर
प्यास
वैसे ही फल पाएगा, जैसी संगति पास
चिंता से क्या होयगा, कुछ तो करो उपाय
गर उपाय नहिं चल सके, कर चिंता, क्या पाय
जीवन सरिता बह रही, नित प्रातः औ शाम
कोई जीये या मरे, जग के रुकें ना काम
क्षमा, प्रेम और दान है सज्जन की पहचान
जो नहिं इनको धारते, उनको दुर्जन जान
पहले कर्म विफल दिखै, नित कोशिश फल पाए
ज्यों मंथन में विष प्रथम, पीछे अमरत आए
१४ अप्रैल २०१४ |