अनुभूति में
मंजु मिश्रा की रचनाएँ-
नई क्षणिकाओं में-
चलो बैठो और सुनो
क्षणिकाओं में-
हताशा और निराशा
संकलन में-
दीप धरो-
आठ क्षणिकाएँ
होली है-
फागुन
आया
होली है-
रंग
बरसे (हाइकु)
|
|
चलो बैठो और
सुनो
१.
चलो उगायें
सपनों की फसल
घर भर जाए जिंदगी का !
ऐसी बहार आए
२.
चलो बोयें
धूप के बीज
और लोगों में
उजाला बाँटे
३.
बैठने दो,
दो घडी अपने पास
बस इतना हक़ दो
कि पूछ सकूँ
तुम क्यों हो उदास
४.
ज़रा सा फ़ासला रख
जिंदगी में हर किसी से
बहुत नजदीकियाँ,
रिश्तों में
तल्खी घोल देती हैं
५.
ना रख उम्मीद
दुनिया में किसी से
उम्मीदें टूटती हैं
टूट कर
दिल तोड़ देती हैं
६.
आँखों को सपनों की
लत मत लगाना
ये नादाँ,
हकीकत
देखना ही छोड़ देती हैं
५ सितंबर २०११ |