अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में इला प्रसाद की कविताएँ—

नई रचनाओं में-
रिक्ति
ठंड
संदेश

कविताओं में-
तलाश
अंतर
दीमक
बाकी कुछ
मूल्य
रास्ते
यात्रा
विश्वास
सूरज

संकलन में-
मौसम–मौसम- कल रात
      रोज़ बदलता मौसम

सूरज

मैं सूरज की ओर हाथ बढ़ाती हूँ
मेरी हथेलियाँ
नाप नहीं पातीं
उसकी गोलाई को
मेरी उँगलियाँ
छोटी पड़ती हैं
उसे छूने के लिए
तब मेरे पेशानी पर
सूरज का स्पर्श था!
भोर की उजली धूप में नहाई
मैं खिलखिलाती
और सूरज
मेरी मुट्ठियों में
होता था
किसी गेंद की तरह।
फिर एक दिन अनजाने ही
मैंने वह गेंद एक ओर
उछाल दी
और वह घूमकर
वक्त की झाड़ियों में खो गई
मुझे नहीं मालूम।
या कि सूरज खुद ही
निकल गया
पारे की तरह
मेरी हथेलियों को भेद कर
मैंने नहीं जाना।
शायद, सारा कुछ
इतनी आसानी से नहीं हुआ।
किस्तों में मिले दर्द को
मैंने किस्तों में ही जिया।
मेरी हथेलियाँ काँपीं
और सूरज मेरी मुट्ठियों से
फिसलता चला गया...
अगली सुबह
मेरी मुट्ठियाँ खाली थीं
और सूरज क्षितिज पर।
फिर सहसा बहुत बड़ा हो आया सूरज
मेरी हथेलियों के लिए...
तब से लगातार
मैं सूरज का बड़ा होते जाना देख रही हूँ
जड़, अपलक!

1 जून 2006

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter