अनुभूति
में इला प्रसाद की कविताएँ—
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संकलन में-
मौसम–मौसम-
कल रात
रोज़ बदलता मौसम
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रास्ते
अपने पाँवों से चली
तो जाना
रास्ते कितने लंबे हैं
वरना कब, इस तरह, अकेले,
घर से निकलना हुआ था!
विश्वास
सूई की नोक भर विश्वास था मन में।
सूई की नोक पर बैठी रही रात भर।
चुभता रहा मन में अपना ही विश्वास
सहती गई रात भर।
अंतर
मैंने पलाश की एक डाली हिलाई
और झर गया मेरी गोदी में
अथाह सौंदर्य!
तुम मर मिटे
पुरुष हो!
मैं चुपचाप निरखती रही
सुगंध तलाशती रही
स्त्री हूँ न!
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