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अनुभूति में भाविक देसाई की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
अस्तित्व
कल्पना की सीमा
ख़ुदी
प्रेम
मेरे शब्दों के पूर्वज

मेरे शब्दों के पूर्वज

तुम्हारी आँखों को
छूते ही
गीले हो जाते है
मेरे सारे शब्द

तुम्हारी पलकों पर
बैठे बैठे
कितनी नज़्में निचोड़ी है
मैंने अपनी !

बूँद बूँद
टपकती भगीरथी में
मोक्ष मिला है
मेरी सारी कल्पनाओं को…

१ अगस्त २०२३

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