आईना
शेव बनाते हुए मेरी नज़र
अक्सर मूछों पर अटक जाती है
परेशान हो जाता हूँ
बढ़ते हुए सफ़ेद बालों को देख कर
ढलती उम्र का अहसास होता है
ऐसे में मेरा अक्स मुझसे पूछता है
इन बीते सालों में तुमने
समाज को क्या दिया
क्या किसी के आँसू पोछे
क्या किसी भूखे को खाना खिलाया
क्या किसी को तन ढकने को कपड़ा दिया
इन सवालों से मैं
और भी परेशान हो जाता हूँ
और ब्रश तेज़ी से चलाने लगता हूँ
24 मई 2007
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