पक रहा है जंगल
अप्रैल का महीना लौट रहा है
जंगल में
और
सूखे पत्तों की खड़खड़ाहट में
रच रही हैं चीटियाँ अपना समय
तपते समय में
उदास नहीं हैं
जंगल के पेड़
उमस में खिल रही हैं
जंगल की हरी पत्तियाँ
पेड़ की शाखाओं में
आ रहे हैं फूल
आम अभी पूरा पका नहीं है
चार-तेन्दू पक रहे हैं
पक रहे हैं
जंगल में क़िस्म-क़िस्म के फूल-पौधे
सावधान।
अभी पक रहा है जंगल।
१५ दिसंबर २००८ |