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अतीत के पृष्ठ
किस
स्याही से लिखे गए हैं
ये अतीत के पृष्ठ . . .?
बहुत भुलाया है
आज के जिन्दा
जीने में उन्हें।
वर्तमान अपनाया है
अपना है ये
संतुष्टि है हर कहीं
लेकिन
एक दस्तक सी आती है
कहीं से
झकझोड़ती है
अस्तित्व को नकारती सी।
रंगबिरंगे ढेर में
कुछ छिपता है
कुछ दिखता है
पर
नहीं खोज पाया मन,
वही,
जिसे मानने को जी चाहता है!
पर मानना नहीं चाहता मन।
१६ मार्च २००४ |