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अनुभूति में उदय खनाल 'उमेश'
की रचनाएँ —

गीतों में
जीवन उपवन में
मैं प्रतिबिम्ब उसी का रे

छंदमुक्त में-
विडम्बना

सितारों से
 

 

जीवन उपवन में

जीवन है जीवन उपवन में झझावातों की टोली है।
टोली है उनमें गहराई मधु–पीड़ा की बन आयी है।।

बन आयी है उसके अंदर तेरी यादों की बरसातें।
बरसातें ऐसी जिसमें है ओलों की मधुमय व्याघातें।।

ठंसी साँसों की झोली हैं बंधन के मोती बरसे हैं।
बरसें हैं मधुमय रंग लिए एक प्रेमकथा हैं संग लिये।।

हैं संग लिये कई जन्मों के पावन कर्मों के बंधन को।
बंधन को लेकिन उसमें ही शाश्वत–मोचन के मधुबन को।।

है एक डगर सुख–दर्द लिये, कुछ मोड़ लिये कुछ जोड़ लिये।
कुछ जोड़ लिये दो हृदयों के भूले बिसरे उच्छवासों के।।

उच्छवासों के, मधुमासों के, नितहासों के, विश्वासों के।
विश्वासों के, अभिलाषों के, चितपाशों के, उल्लासों के।।

o१ दिसंबर २००२

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