मैं एक जगह टिक कर बैठूँ कैसे
मैं एक जगह टिक कर बैठूँ कैसे
पहले मौसम से कहों कि वह न बदले,
बारिश न हो और सूरज न ढ़ले
रात मे तारे न हों नभ पर,
पहले समय से कहो कि वह न बदले,
क्या तुम कर सकते हो ऐसे?
मैं एक जगह टिक कर बैंठूँ कैसे?
मुझे इंद्रधनुषी रंग पसंद हैं
मौसम सर्द और गर्म पसन्द हैं
मुझको कोयल के गाने की चाह है
जाऊं हर उस जगह जहाँ राह है
एक जगह इन सबको बुलाऊँ कैसे?
मैं एक जगह टिक कर बैठूँ कैसे?
मुझे कठपुतली का नाच पसन्द है
नया पुराना हर साज़ पसन्द है
पर्वत नदियाँ नाले पसन्द हैं
दोस्त सब गोरे काले पसन्द हैं
बच्चे प्यारे प्यारे पसन्द हैं
मैं किसी से नफ़रत करूँ तो कैसे?
मैं एक जगह टिक कर बैठूँ कैसे?
मुझे हर पगडन्डी अच्छी लगती है
हर नई सड़क मुझे जँचती है
लुभाती है मुझे सब गलियाँ
नाच, तमाशे और रंग-रलियाँ
मैं थक कर रुक जाऊँ कैसे?
मैं एक जगह टिक कर बैठूँ कैसे?
मुझे खेत और खलिहान पसंद है
दद्दू का घर और ननिहाल पसंद है।
असम, बिहार, बंगाल पसंद है।
मुझको पूरा हिंदुस्तान पसंद है
एक जगह बँध रह जाऊँ कैसे?
मैं एक जगह टिक कर बैंठूँ कैसे?
रो-रोकर जीना मुझे आता नहीं है
घुट-घुट कर मरना भाता नहीं है
मैं व्यापारी, साहूकार नहीं हूँ
जेब में दाब रख लूँ क्यों पैसे,
तुम रहते हो मैं रहूँ वैसे?
मैं एक जगह टिक कर बैंठूँ कैसे?
४ जनवरी २०१० |