अनुभूति में
सुमन केशरी की रचनाएँ- छंदमुक्त में-
औरत
बा
बा और बापू
महारण्य में सीता
लोहे के पुतले
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बा
कितना कठिन है
शब्दों में तुम्हे समेटना
बा!
तुम एक परछाईं-सी
सुरज की
उसी के वृत्त में अवस्थित
चंदन लेप के समान
उसको उसी के ताप से दग्ध होने बचातीं
उसे भास्कर बनातीं....
२१ मई २०१२
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