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अनुभूति में स्वर्णलता ठन्ना की
रचनाएँ -

छंदमुक्त में-
इकरार
उदास शाम
प्रतिमूर्ति
बदलाव
सूरज

 

इकरार

सुधियों का आकाश,
यादों की जमीं,
अनगढ़ सी बातें,
गुम यहीं कहीं...

हाथों में हाथ,
नयनों का संवाद,
कपूर जैसे उड गया,
मन का अवसाद...
दृगों में उलझी
स्वप्निल सी रातें
कभी ना खत्म हो
यह प्यार की बातें
वीणा के तार
मधुर एक झंकार,
तकरार में प्यार
प्यार में इकरार...।

२३ जून २०१४

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