अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में शैली खत्री की रचनाएँ

छंदमुक्त में-
अगहनी धान
जिंदगी और मौत (तीन कविताएँ)
तुम बिन
प्रार्थना
मेरा छल

 

जिंदगी और मौत (तीन कविताएँ)
1
कभी जब जिंदगी
टकराती है मौत से
छिड़ जाती है दोनों में जंग
दोनों ही लगाते हैं अपने-अपने दाँव
जब भी जीतती है जिंदगी
हर चेहरा खिल जाता है
मगर, इस टक्कर में
जीत होती है मौत की
समाँ में गम की लहर दौड जाती है
जिंदगी को मिलते हैं सारे वोट
फिर भी अंत में मौत के हाथ
बाजी आती है।

2
मौत है शाश्वत
हर दिल खाता है इससे खौफ
कोई करता नहीं इसको प्यार
लेकिन यह छल-प्रपंच से
हर किसी को पाना चाहती है
कभी दबे पाँव द्वार खटखटाती है
कभी नाना जाल बिछाती है
काश! जिंदगी होती इतनी सजग
जो समझ लेती
इसकी चाल को
लपेट कर इसे
इसके ही जाल में
पटक देती हर हाल में

3
जिंदगी जब होती है अपने
शबाब पर
ठुमक-ठुमक कर चलती है
जाने क्यों इसकी मादक चाल पर
मुझे हँसी आती है
जानती है ये
आयेगा एक दिन
जब वो बनेगी मौत की दुल्हन
खोना होगा उसे मौत के आगोश में
तब उसे कहाँ से इतनी हिम्मत आती है
मौत को भी वो नखरे दिखाती है

२६ जनवरी २०१५

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter