|
जिंदगी और मौत (तीन कविताएँ)
1
कभी जब जिंदगी
टकराती है मौत से
छिड़ जाती है दोनों में जंग
दोनों ही लगाते हैं अपने-अपने दाँव
जब भी जीतती है जिंदगी
हर चेहरा खिल जाता है
मगर, इस टक्कर में
जीत होती है मौत की
समाँ में गम की लहर दौड जाती है
जिंदगी को मिलते हैं सारे वोट
फिर भी अंत में मौत के हाथ
बाजी आती है।
2
मौत है शाश्वत
हर दिल खाता है इससे खौफ
कोई करता नहीं इसको प्यार
लेकिन यह छल-प्रपंच से
हर किसी को पाना चाहती है
कभी दबे पाँव द्वार खटखटाती है
कभी नाना जाल बिछाती है
काश! जिंदगी होती इतनी सजग
जो समझ लेती
इसकी चाल को
लपेट कर इसे
इसके ही जाल में
पटक देती हर हाल में
3
जिंदगी जब होती है अपने
शबाब पर
ठुमक-ठुमक कर चलती है
जाने क्यों इसकी मादक चाल पर
मुझे हँसी आती है
जानती है ये
आयेगा एक दिन
जब वो बनेगी मौत की दुल्हन
खोना होगा उसे मौत के आगोश में
तब उसे कहाँ से इतनी हिम्मत आती है
मौत को भी वो नखरे दिखाती है
२६ जनवरी २०१५ |