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तुम बिन
एक एहसास कि
तुम नहीं हो
मेरे साथ, मेरे पास
तोड़ देता है मुझे
भर जाता हूँ मैं
एक अनजानी
रिक्तता से
भरकर और समाकर
मुझ में यह रिक्तता
कर देती है खुद से ही
बेगाना मुझे
सूरज का आना और
चाँद का मुस्काना
तो
भूलता ही हूँ
जान नहीं पाता फिर
मैं
धड़कनों का चहकना
अपनी ही साँसों से
हो जाता हूँ अनजाना
कौन जाने
तब क्या होगा
जब सचमूच तुम
नहीं रहोगे
ये धरा रहेगी
गगन रहेगा
अमन होगा चमन होगा
पर मुझपर
ये कैसा सितम होगा
मैं रहूँगा
पर मेरा मन
नहीं होगा
२६ जनवरी २०१५ |