अनुभूति में शैली खत्री की रचनाएँ
छंदमुक्त में- अगहनी धान जिंदगी और मौत (तीन कविताएँ) तुम बिन प्रार्थना मेरा छल
मेरा छल ज्ञात तो था मुझे कि तुम आखिर हो पुरूष ही वासना के पंक में रहोगे डूबे नारी होगी तुम्हारे लिए बिचारी ही छल, छद्मवेष और प्रेम का झूठा आलाप भरा ही होगा तुम्हारी रूह में भी फिर भी तुम पर विश्वास रख छला तो मैंने स्वयं को ही २६ जनवरी २०१५
इस रचना पर अपने विचार लिखें दूसरों के विचार पढ़ें
अंजुमन। उपहार। काव्य चर्चा। काव्य संगम। किशोर कोना। गौरव ग्राम। गौरवग्रंथ। दोहे। रचनाएँ भेजें नई हवा। पाठकनामा। पुराने अंक। संकलन। हाइकु। हास्य व्यंग्य। क्षणिकाएँ। दिशांतर। समस्यापूर्ति
© सर्वाधिकार सुरक्षित अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है