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अनुभूति में शील भूषण  की रचनाएँ-

छंदमुक्त में-
अपना अपना सा
अब और नहीं
तड़पन
मेरा अपना सत्य
शून्य-सा जीवन

 

मेरा अपना सत्य

बचपन में
मैंने कभी
हनुमान का
एक चित्र देखा था
जिसमें हनुमान ने
अपना सीना चीर कर
साक्षात्
राम को वहां दिखाया था
आज तक
मै इसे
चित्रकार की कल्पना समझती रही
लेकिन
जब से
तुम्हें देखा ,जाना व पहचाना
तो लगा मुझे
कि
चित्रकार का चित्र अधूरा है
वास्तविक सत्य तो मेरा है
मेरा अपना है
जानते हो क्यों
क्योंकि
तुम
न केवल
मेरे हृदय में
अपितु
रोम -रोम में समाये हो

१६ जनवरी २०१२

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