अनुभूति में
शंभु चौधरी की
रचनाएँ -
छंद मुक्त में-
निःशब्द हो जलता रहा
मानव अधिकार
मैं भी स्वतंत्र हो पाता
श्रद्धांजलि
हम और वे
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श्रद्धांजलि
नमन तुम्हें, नमन तुम्हें, नमन तुम्हें,
वतन की राह पे खड़े तुम वीर हो,
वतन पे जो मिटे वो तन,
नमन तुम्हें, नमन तुम्हें,
नमन तुम्हें, नमन तुम्हें,
ये शहीदों की चिता नहीं,
भारत नूर है,
चरणों पे चढ़ते 'हिन्द'! तिरंगे फूल हैं।
मिटे जो मन, मिटे जो धन,
मिटे जो तन वतन की राह पे खड़े तुम वीर हो,
वतन पे जो मिटे वो तन,
नमन तुम्हें नमन तुम्हें! नमन तुम्हें! नमन तुम्हें!
१७ नवंबर २००८
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