अनुभूति में
आर पी शुक्ल की रचनाएँ-
छंद मुक्त में-
किराये के कंधे
पाँव के निशाँ
प्रतीक्षा के तीन युग
अंजुमन में-
अपनी किस्मत
छोड़कर गाँव
हाइकु में-
दस हाइकु |
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अपनी
किस्मत
अपनी किस्मत के
सितारों की तरफ़ क्या देखें।
डूबते वक़्त किनारों की तरफ़ क्या देखें।।
डोली जानी थी कहीं, कहीं लेके गए।
ऐसे कमज़र्फ़ कहारों की तरफ़ क्या देखें।।
मेरे ही बाग़ की कलियों को जिसने रौंद दिया।
ऐसी मग़रूर बहारों की तरफ़ क्या देखें।
हँसते ख़्वाबों को मेरे जिसने आज तोड़ा है
ऐसे गुस्ताख़ सितारों की तरफ़ क्या देखें।
जिसकी माटी से मेरे खूँ की महक आती हो,
ऐसे पौधों की कतारों की तरफ़ क्या देखें।
९ नवंबर २००९ |